शहरी ढांचे में सुधार की राह में बड़ी बाधा मानी जाने वाली स्टाफ की कमी को दूर करने के लिए केंद्र सरकार राज्यों को नियुक्तियों के लिए सहायता देने जा रही है, लेकिन यह तभी मिलेगी जब राज्य शहरी स्थानीय निकायों में स्वास्थ्य अधिकारी, मेकेनिकल, सिविल और इलेक्टि्रकल इंजीनियरों के कम से कम 50 प्रतिशत पद भरेंगे।
पहली बार केंद्र सरकार एक लाख तक की आबादी वाले छोटे नगरों में नगरीय प्रशासनिक सेवा, वित्त सेवा और तकनीकी सेवा का कैडर बनाने के लिए सहायता देने का फैसला किया है।
इस श्रेणी में आने वाले स्थानीय निकायों का एक क्लस्टर बनाया जाएगा। एक क्लस्टर में अधिकतम दस शहरी स्थानीय निकाय होंगे और प्रत्येक में कम से कम दस अधिकारी-कर्मचारी नियुक्त किए जाने हैं।
क्लस्टर में कम से कम दस कर्मचारियों का होना जरूरी
इसके ढांचे में प्रशासनिक काम के लिए एक कार्यकारी अफसर, एक वित्त अधिकारी, एक एकाउंटेंट, सिविल के तीन, मेकेनिकल के दो और इलेक्टि्रकल का एक इंजीनियर और एक स्वास्थ्य अधिकारी होगा।
उदाहरण के लिए अगर किसी राज्य में 600 शहरी स्थानीय निकाय हैं तो वहां 60 क्लस्टर बनाए जाएंगे और हर क्लस्टर में कम से कम दस कर्मचारियों का होना जरूरी है।
केंद्र सरकार ने राज्यों को यह छूट दी है कि अगर पांच नियुक्तियां भी हो जाती हैं तो उन्हें प्रोत्साहन राशि मिल जाएगी।
नगरीय निकायों में स्टाफ की कमी का मामला कितना गंभीर है, इसका पता 2023 के एक अध्ययन से चलता है, जिसमें कहा गया है कि 13 राज्यों में 470 शहरी प्रशासन में औसत रिक्तियां 36 प्रतिशत हैं।
यह अंतराल नगर निगमों (33 प्रतिशत) और नगर पंचायतों (58 प्रतिशत) में भी उतना ही गंभीर है।
नियुक्तियां पांच साल के लिए होनी चाहिए
केंद्र सरकार ने राज्यों से कहा है कि स्टाफ की संख्या और रिक्तियों का आकलन करने में अगले पांच साल में सेवानिवृत्त होने वाले कर्मियों का भी ध्यान रखें।
सरकार ने राज्यों को यह सुविधा भी दी है कि अगर वे सुधार की अवधि में नियमित नियुक्तियां न कर सकें तो खाली पदों को अनुबंध के आधार पर भरा जाए। ये नियुक्तियां पांच साल के लिए होनी चाहिए।
राज्यों को विशेष वित्तीय सहायता के तहत शहरी सुधार पर इस वित्तीय वर्ष में 18000 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे, जिसमें 13000 करोड़ नगरीय शासन, वित्त, जमीन और नियोजन संबंधी सुधार के लिए हैं और पांच हजार करोड़ रुपये कारोबारी सुगमता का वातावरण बनाने के लिए राज्यों को दिए जाने हैं।
तय किया गया समय
राज्यों के लिए विशेष सहायता संबंधी वित्त मंत्रालय के दिशा-निर्देशों के मुताबिक यह राशि राज्यों को उनके पूंजीगत खर्च के लिए प्रोत्साहन सहायता के रूप में है।
केंद्र सरकार ने सुधार के कदमों के लिए समयसीमा भी तय की है। पहले घटक के लिए इस साल 16 जनवरी से 15 दिसंबर तक का वक्त है और दूसरे के लिए एक अप्रैल से 15 दिसंबर का समय तय किया गया है।