हाईवे निर्माण और खासकर काम पूरा करने में लगातार हो रही देरी से बचने के लिए केंद्र सरकार ने पर्यावरण, वन, वन्य जीवन, रेलवे, भूमि अधिग्रहण संबंधी अनुमतियों और मंजूरियों के लिए एक तरह से समय सीमा निर्धारित की है।
सभी टेंडरों के लिए इन मंजूरियों के लिए तय किए गए चरण लागू होंगे
आगामी एक जून के बाद जारी होने वाले सभी टेंडरों के लिए इन मंजूरियों के लिए तय किए गए चरण लागू होंगे।
सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय की ओर से जारी सर्कुलर के अनुसार, पर्यावरण और वन्य जीवन मंजूरी का काम एलाइनमेंट को संस्तुति किए जाने के साथ ही शुरू हो जाना चाहिए और इसे हर हाल में बिड प्राप्त करने से पहले पूरा कर लिया जाना चाहिए।
इसी तरह वन मंजूरी का काम एलाइनमेंट तय हो जाने से लेकर कांट्रैक्टर को काम सौंपे जाने तक पूरा हो जाना चाहिए।
हाईवे के कामों में अक्सर रेलवे की मंजूरियां हासिल होने में देरी बाधा बन जाती है।
अधिसूचना जारी होने के साथ ही नई व्यवस्था शुरू हो जाएगी
इसे दूर करने के लिए मंत्रालय ने यह व्यवस्था की है कि रेलवे से अनुमति मांगने की प्रक्रिया प्रोजेक्ट की व्यावहारिकता का पहला मसौदा बनते ही आरंभ हो जाएगी और यह सुनिश्चित किया जाएगा कि बिड प्राप्त करने के पहले ही समाप्त कर लिया जाए। यही बात पानी, बिजली और अन्य लाइनों की शिफ्टिंग के मामले भी लागू होगी।
भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया नेशनल हाईवे एक्ट के सेक्शन 3 ए के तहत अधिसूचना जारी होने के साथ ही शुरू हो जाएगी और इसे भी राइट ऑफ वे की 90 प्रतिशत लंबाई की 3डी अधिसूचना जारी होने और निविदा प्राप्त करने के पहले पूरा हो जाना चाहिए।
हाईवे के 80 प्रतिशत इस वजह से रुके
सरकार की ओर से इन जरूरी मंजूरियों के लिए चरण निर्धारित करना इसलिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि हाईवे के 80 प्रतिशत से अधिक काम न्यूनतम डेढ़ साल की देरी के शिकार होते हैं और इसकी एक बड़ी वजह यह है कि मंजूरियां हासिल करने का काम ठेकेदारों पर छोड़ दिया जाता है।