भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अध्यक्ष वी. नारायणन ने कहा है कि भारत और अमेरिका जल्द ही संयुक्त रूप से एक उन्नत अर्थ-इमेजिंग सैटेलाइट (भू-इमेजिंग उपग्रह) बनाएंगे।
इस उपग्रह को भारत से ही अंतरिक्ष में प्रक्षेपित किया जाएगा।
उन्होंने यह भी कहा कि जलवायु परिवर्तन और वायु प्रदूषण का अध्ययन करने तथा मौसम की निगरानी के उद्देश्य से इसरो जी-20 देशों के लिए भी एक उपग्रह विकसित कर रहा है।
भू-इमेजिंग उपग्रह पृथ्वी की कक्षा में चक्कर लगाने वाला एक 'अंतरिक्ष यान' है जिसे पृथ्वी की सतह और वायुमंडल के बारे में चित्र और डाटा कैप्चर करने के लिए डिजाइन किया जाता है।
देश ने जो प्रगति की है वह अभूतपूर्व'
ये उपग्रह जानकारी एकत्र करने के लिए रडार सहित विभिन्न सेंसरों का उपयोग करते हैं।
एकत्र किए गए डाटा का उपयोग मौसम की भविष्यवाणी, पर्यावरण निगरानी और मानचित्रण जैसे कई अनुप्रयोगों के लिए किया जाता है।
बहरहाल, आजादी के बाद से विभिन्न प्रकार और क्षमताओं के उपग्रहों के निर्माण का उल्लेख करते हुए इसरो प्रमुख ने कहा कि 1947 में स्वाधीन होने के बाद से देश ने जो प्रगति की है वह ''अभूतपूर्व और उत्कृष्ट'' है।
भारत ने 34 देशों के 433 उपग्रहों को कक्षा में स्थापित किया
इंफाल में केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय के पांचवें दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि भारत ने 34 देशों के 433 उपग्रहों को कक्षा में स्थापित किया है और देश के नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए 10 उपग्रह लगातार काम कर रहे हैं। भारत एक जीवंत अंतरिक्ष शक्ति बन रहा है और 2040 तक इसका पहला अंतरिक्ष स्टेशन होगा।