हाइवे पर हवा की स्पीड से गाड़ियां दौड़ाने वालों की अब कोई चालाकी काम नहीं आएगी।
केंद्र सरकार देश भर में वाहनों की गति थामकर सड़क हादसों पर नियंत्रण के लिए रडार सिस्टम को प्रभावी बनाने जा रही है।
इससे सड़क सुरक्षा के प्रविधानों को बेहतर और विश्वसनीय तरीके से लागू किया जा सकेगा।
उपभोक्ता मंत्रालय ने कहा है कि यातायात रडार उपकरणों के अनिवार्य सत्यापन एवं मुहर लगाने की जरूरत वाले नए नियम पहली जुलाई से प्रभावी होंगे।
नए नियम विधिक माप विज्ञान के तहत आते हैं, जिन्हें सड़कों पर वाहनों की गति मापने के लिए व्यापक रूप से उपयोग किए जाने वाले माइक्रोवेव डॉप्लर रडार उपकरण पर लागू किया जाएगा।
भारत में चल रहे सुधारों की दिशा में पहला कदम
यह कदम कानूनी माप-पद्धति के बुनियादी ढांचे के आधुनिकीकरण के लिए भारत में चल रहे सुधारों की दिशा में भी बड़ी पहल है, क्योंकि इससे यह सुनिश्चित होगा कि वाहन गति मापन उपकरण वैज्ञानिक रूप से मजबूत और कानूनी रूप से सत्यापन के लायक हैं या नहीं। इसके जरिए सरकार का उद्देश्य वाहन गति एवं दूरी माप के लिए सटीक आंकड़ों पर नजर रखना है, जिससे यातायात नियमों को प्रभावी तरीके से लागू करने में आसानी हो सके।
इसके जरिए किसी तरह की चालाकी से यातायात नियमों में छेड़छाड़ को भी आसानी से पकड़ा जा सकता है।
डॉप्लर रडार इक्विपमेंट से किया जाएगा वाहनों की गति का माप
नए नियमों के तहत गाड़ियों की गति मापने के लिए अब डॉप्लर रडार इक्विपमेंट का इस्तेमाल किया जाएगा।
सभी रडार-आधारित गति मापक उपकरण विधिक माप विज्ञान अधिकारियों द्वारा सत्यापित एवं मुहर लगाए हुए होने चाहिए।
इससे यह पता चलेगा कि उपकरण सही, सक्षम और सड़क सुरक्षा के प्रविधानों के अनुरूप हैं।
इसके सहारे वाहन परिचालन में पारदर्शिता, जनता में विश्वास और नियमों का पालन करने में ईमानदारी बढ़ेगी।
सत्यापित रडार सिस्टम वाहनों की गति की निगरानी, दुर्घटना की रोकथाम और सड़कों पर टूट-फूट की पहचान करने में भी सक्षम हैं।
नियमों के लागू होने से आम लोगों को होगा फायदा
इन नियमों के प्रभावी होने से आम लोगों को भी फायदा है, क्योंकि इसके जरिए रडार आधारित गति माप उपकरणों का अनिवार्य सत्यापन हो सकेगा, जो वाहनों की गति के सटीक आकलन में सहायक होगा।
ऐसे में वाहन चालकों को अनुचित दंड का सामना नहीं करना पड़ेगा और सड़क सुरक्षा के तरीकों में वृद्धि होगी।
आम लोग अधिक आत्मविश्वास के साथ गाड़ी चला सकेंगे, क्योंकि उन्हें पता होगा कि इन नियमों का अनुपालन वैज्ञानिक रूप से मान्य और कानूनी रूप से प्रमाणित उपकरणों पर आधारित है।
नए नियमों में तकनीकी विश्वसनीयता का प्रोत्साहन मिलेगा
नए नियमों में तकनीकी विश्वसनीयता एवं कानूनी जवाबदेही को प्रोत्साहन मिलेगा।
इन नियमों को अंतरराष्ट्रीय मानक पर आधारित तकनीकी इनपुट वाली समिति ने तैयार किया है।
अंतिम रूप देने से पहले राज्य विधिक माप विज्ञान विभागों, क्षेत्रीय संदर्भ मानक प्रयोगशालाओं, निर्माताओं और उपभोक्ता संगठनों के साथ-साथ हितधारकों से भी व्यापक विमर्श किया गया है