बढ़ती कक्षाओं से साथ स्कूलों में बच्चों के बढ़ते ड्रॉपआउट को थामने की दिशा में केंद्र सरकार ने अब एक और नई पहल शुरू की है।
जिसमें राज्यों के साथ मिलकर न सिर्फ देश भर के स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों की प्रतिदिन की उपस्थिति और उन्हें स्कूलों में दिए जाने वाले दोपहर के भोजन पर नजर रखी जा रही है बल्कि जहां भी कम उपस्थिति या फिर भोजन की गुणवत्ता को तय मानकों की कमी मिलेगी, उन सभी राज्यों व जिलों को तुरंत सतर्क किया जाएगा।
जैसे यदि किसी जिले के स्कूलों में बच्चों की उपस्थिति लगातार कम दर्ज हो रही है, तो केंद्र तुरंत ही उस राज्य और जिले को अलर्ट जारी करेगा।
केंद्र सरकार ने विद्या समीक्षा केंद्र के जरिए देश भर के स्कूलों की निगरानी शुरू की है।
बच्चों के शैक्षणिक प्रदर्शन और स्वास्थ्य पर रखी जाएगी नजर
हालांकि, उसके शुरूआत में अभी सिर्फ छात्रों की उपस्थिति और दोपहर के भोजन से जुड़ी जानकारी ही जुटाई जा रही है लेकिन आने वाले दिनों में इसके जरिए बच्चों के शैक्षणिक प्रदर्शन और स्वास्थ्य आदि की स्थिति पर भी नजर रखी जाएगी।
इस केंद्र के लिए देश भर के स्कूलों का ब्यौरा जुटाया जा रहा है।
पश्चिम बंगाल, केरल और बिहार को छोड़ दें देश के सभी राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों ने इसके लिए जरूरी ब्यौरे को मुहैया करा दिया है।
इनमें से करीब 30 राज्य व केंद्र शासित प्रदेशों ने उपस्थिति व दोपहर के भोजन का ब्यौरा भी देना शुरू कर दिया है।
केंद्र से जुड़े शिक्षा मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इसके जरिए देशभर के स्कूलों को एक डैश बोर्ड पर लाया गया है।
जहां एक ही क्लिक पर किसी भी स्कूल की सारी जानकारी सामने आ जाएगी।
क्या है अर्ली अलर्ट सिस्टम?
इस दौरान समय पूर्व चेतावनी (अर्ली अलर्ट) का भी एक सिस्टम तैयार किया गया है।
इसमें जैसे ही किसी भी राज्य या जिले में बच्चों की उपस्थिति में गिरावट दर्ज होगी, तुरंत यह सिस्टम अलर्ट करेगा।
इसके आधार पर राज्यों और जिलों को अलर्ट किया जाएगा।
हालांकि, यह भी यह व्यवस्था शैशव काल में है। गौरतलब है कि स्कूलों में प्राथमिक स्तर पर ड्रापआउट दर जहां 1.9 प्रतिशत है वहीं उच्च प्राथमिक स्तर पर 5.2 प्रतिशत और माध्यमिक स्तर पर ड्रापआउट दर 14.1 प्रतिशत है।