1अप्रैल से ऑनलाइन विज्ञापनों पर इक्वलाइजेश लेवी या डिजिटल टैक्स नहीं लगेगा।
इस संबंध में सरकार ने एक प्रस्ताव सोमवार को संसद में पेश किया।
इस कदम से गूगल, एक्स और मेटा जैसे डिजिटल प्लेटफार्म पर विज्ञापन देने वाली कंपनियों को फायदा होगा।
ये बदलाव वित्त विधेयक में वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी द्वारा लोकसभा में पेश किए गए 59 संशोधनों का हिस्सा हैं।
1 जून से लगाई गई थी छह प्रतिशत इक्वलाइजेशन लेवी
संशोधन के तहत, एक अप्रैल, 2025 से ऑनलाइन विज्ञापनों पर छह प्रतिशत इक्वलाइजेशन लेवी को खत्म कर दिया जाएगा।
ऑनलाइन विज्ञापन सेवाओं पर इक्वलाइजेशन लेवी एक जून, 2016 को लगाई गई थी।
लोकसभा में प्रस्तावित संशोधनों के अनुसार, वित्त अधिनियम, 2016 की धारा 163 के अनुसार, एक अप्रैल, 2025 के बाद इक्वलाइजेशन लेवी नहीं लगेगी।
इक्वलाइजेशन लेवी को वित्त अधिनियम 2016 द्वारा आनलाइन विज्ञापन सेवाओं, डिजिटल विज्ञापन स्थान के प्रविधान या केवल आनलाइन विज्ञापन के उद्देश्य से किसी अन्य सुविधा या सेवा के लिए पेश किया गया था।
वित्त अधिनियम 2020 ने इस लेवी के दायरे को एक अप्रैल, 2020 को या उसके बाद की गई ई-कामर्स आपूर्ति और सेवाओं तक बढ़ा दिया था।
ई-कामर्स लेनदेन पर यह दो प्रतिशत इक्वलाइजेशन लेवी 1 अगस्त, 2024 को समाप्त कर दी गई थी।
विशेषज्ञों के अनुसार, ऑनलाइन विज्ञापनों पर इक्वलाइजेशन लेवी को हटाने का प्रस्ताव अमेरिका के प्रति एक उदार रुख दिखाने के उद्देश्य से है, जिसने दो अप्रैल से पारस्परिक शुल्क लगाने की धमकी दी है।
दो प्रतिशत शुल्क को लेकर अमेरिका से अधिक आलोचना हुई: सुमित सिंघानिया
डेलाइट इंडिया के पार्टनर सुमित सिंघानिया ने कहा कि इक्वलाइजेशन लेवी को पूरी तरह से खत्म करने का सरकार का कदम आयकर कानून को सरल बनाने के मौजूदा प्रयास के अनुरूप है।
एकेएम ग्लोबल टैक्स पार्टनर अमित माहेश्वरी ने कहा कि दो प्रतिशत शुल्क को लेकर अमेरिका से अधिक आलोचना हुई।
अमेरिका द्वारा पारस्परिक शुल्क लगाने की धमकी के बाद सरकार अधिक उदार रुख दिखाने की कोशिश कर रही है।
आनलाइन विज्ञापन पर छह प्रतिशत इक्वलाइजेशन लेवी को हटाना इस दिशा में एक कदम है।
हालांकि, यह देखना अभी बाकी है कि क्या यह कदम, पहले से चल रहे कूटनीतिक उपायों के साथ मिलकर अमेरिका के रुख में कोई नरमी लाएगा।