देश में जल्द ही हाइड्रोजन से बसों, ट्रकों को चलाने की तैयारी है।
प्रदूषण को नियंत्रित करने और नेशनल ग्रीन हाइड्रोजन मिशन को बढ़ावा देते हुए सरकार ने हाइड्रोजन गैस से बसों, ट्रकों को चलाने के लिए पांच पायलट परियोजनाएं शुरू की हैं।
ये वाहन ग्रेटर नोएडा-दिल्ली-आगरा, साहिबाबाद-फरीदाबाद-दिल्ली समेत 10 अलग-अलग मार्गों पर चलेंगे।
208 करोड़ की वित्तीय सहायता दी जाएगी
नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय ने ट्रांसपोर्ट सेक्टर में हाइड्रोजन परियोजनाओं को लागू करने के लिए दिशानिर्देश जारी किए थे।
विस्तृत जांच के बाद मंत्रालय ने 37 वाहनों (बसों और ट्रकों) और नौ हाइड्रोजन ईंधन भरने वाले स्टेशनों वाली पांच पायलट परियोजनाओं को मंजूरी दी है।
इन परियोजनाओं के लिए सरकार की ओर से लगभग 208 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता दी जाएगी।
इन कंपनियों को सौंपा गया काम
इन पायलट परियोजनाओं के अगले 18-24 महीनों में चालू होने की संभावना है।
ट्रायल के लिए जिन वाहनों को चुना जाएगा, उनमें 15 हाइड्रोजन ईंधन सेल बेस्ड वाहन और 22 हाइड्रोजन इंटरनल कम्बशन इंजन आधारित वाहन शामिल हैं।
इन परियोजनाओं का काम टाटा मोटर्स लिमिटेड, रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड, एनटीपीसी, एएनईआरटी, अशोक लीलैंड, एचपीसीएल, बीपीसीएल और आइओसीएल जैसी प्रमुख कंपनियों को दिया गया है।
2023 में शुरू हुआ ग्रीन हाइड्रोजन मिशन
मंत्रालय के अनुसार, योजना का उद्देश्य बस और ट्रक में ईंधन के रूप में हाइड्रोजन के उपयोग के लिए किफायती तकनीक का विकास करना है।
साथ ही हाइड्रोजन रिफ्यूलिंग स्टेशन जैसे इन्फ्रास्ट्रक्चर को बढ़ावा देना है।
नेशनल ग्रीन हाइड्रोजन मिशन चार जनवरी, 2023 को शुरू किया गया था।
इसके तहत ग्रीन हाइड्रोजन संबंधित परियोजनाओं पर वित्त वर्ष 2029-30 तक 19,744 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे।
इन मार्गों पर चलेंगे हाइड्रोजन वाहन