हाल के दिनों में सोशल मीडिया और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर अश्लील कंटेंट की बाढ़ आ गई है।
इसको लेकर लोगों के साथ सरकार भी चिंतित है। इसी बीच एक ऐसा ही मामला सामने आया था, जिसकी सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने भी केंद्र से पूछा था कि क्या अश्लील कंटेंट को लेकर सरकार कुछ कर रही है या नहीं।
वहीं, अब डिजिटल प्लेटफॉर्म पर अश्लील और हिंसक सामग्री दिखाने के लिए अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के दुरुपयोग पर बढ़ती चिंताओं के बीच सूचना और प्रसारण मंत्रालय सभी प्रकार के मीडिया से संबंधित मौजूदा कानूनों की समीक्षा कर रहा है।
सरकार ने भी जताई चिंता
जानकारी दें कि संसद सदस्यों और राष्ट्रीय महिला आयोग जैसी वैधानिक संस्थाओं सहित समाज के कई वर्ग के लोगों ने इस तरह की सामग्री पर चिंता व्यक्त की है।
सूचना और प्रसारण मंत्रालय का कहना है कि इन घटनाक्रमों पर ध्यान दिया जा रहा है और साथ ही वर्तमान वैधानिक प्रावधानों और नए कानूनी ढांचे की आवश्यकता की जांच भी की जा रही है।
आपको जानना चाहिए कि मीडिया सामग्री को रेगुलेट करने के लिए देश में पहले से कुछ कानूनी प्रावधान मौजूद हैं।
हालांकि, सख्त और अधिक प्रभावी रेलुलेशन की मांग देश में बढ़ रही है।
मंत्रालय ने कहा कि वर्तमान में मौजूद कानूनी ढांचे की जांच की जा रही है और इन चिंताओं को दूर करने के लिए एक नए कानून की आवश्यकता का आकलन भी किया जा रहा है।
मंत्रालय ने कहा कि इस संबंध में एक विस्तृत नोट उचित विचार-विमर्श के बाद समिति के अवलोकन के लिए प्रस्तुत किया जाएगा।
पहले भी मंत्रालय ने दी सलाह
ध्यान देने वाली बात है कि इससे पहले 20 फरवरी को सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने सूचना प्रौद्योगिकी नियम, 2021 के तहत भारतीय कानूनों और आचार संहिता के पालन पर एक सलाह जारी की थी।
बता दें कि हाल के दिनों में ऑनलाइन क्यूरेटेड कंटेंट पब्लिशर्स और प्लेटफॉर्म पर स्व-नियामक निकायों को एक पत्र लिखा गया था।
इसमें मंत्रालय ने कहा कि यह सलाह दी जाती है कि ओटीटी प्लेटफॉर्म अपने प्लेटफॉर्म पर कंटेंट प्रकाशित करते समय लागू कानूनों के विभिन्न प्रावधानों और आईटी नियम, 2021 के तहत निर्धारित आचार संहिता का पालन करें, जिसमें आचार संहिता के तहत निर्धारित कंटेंट के आयु-आधारित वर्गीकरण का सख्त पालन शामिल है। इसके अलावा, ओटीटी प्लेटफॉर्म के स्व-नियामक निकायों से अनुरोध है कि वे प्लेटफॉर्म द्वारा आचार संहिता के उल्लंघन के लिए उचित सक्रिय कार्रवाई करें।
मुद्दा कैसे गरमाया ?
दरअसल, यूट्यूब पर एक वीडियो अपलोड हुआ। जिसमें यूट्यूबर रणवीर इलाहाबादिया ने एक अभद्र टिप्पणी की।
इस वीडियो के सामने आने के बाद लोगों ने जमकर विरोध किया।
इलाहाबादिया के खिलाफ मामला दर्ज किया गया।
बाद में सुप्रीम कोर्ट ने उनको गिरफ्तारी संरक्षण दिया, लेकिन उनकी आलोचना की।
इसके बाद देश भर में अश्लील कंटेट को लेकर चर्चा की जाने लगी।
अब कई शिकायतों के मंत्रालय ने कहा कि वर्तमान में मौजूद कानूनी ढांचे की जांच की जा रही है और इन चिंताओं को दूर करने के लिए एक नए कानून की आवश्यकता का आकलन भी किया जा रहा है।