गुजरात में समान नागरिक संहिता की पहल अब तेजी होने लगी है।
बैठकों व विचार विमर्श का दौर शुरू हो गया है। गुजरात में समान नागरिक संहिता का कानूनी खाका तैयार करने के लिए गठित उच्च स्तरीय समिति ने दिल्ली के गुजरात भवन में बैठक की।
बैठक में समिति ने विचार विमर्श कर सभी नागरिकों के लिए समानता, न्याय और सामाजिक सद्भाव को सुनिश्चित करने वाला एक सशक्त कानूनी ढांचा तैयार पर अपना दृष्टिकोण स्पष्ट किया।
संविधान का अनुच्छेद 44 सभी नागरिकों के लिए समान नागरिक संहिता की बात करता है।
सिर्फ उत्तराखंड में लागू है समान नागरिक संहिता
अभी तक उत्तराखंड एक मात्र राज्य है, जिसने आजादी के बाद राज्य में समान नागरिक संहिता लागू की है।
उत्तराखंड के बाद गुजरात ने समान नागरिक संहिता की ओर कदम बढ़ाया है।
इसका कानूनी ड्राफ्ट तैयार करने के लिए सुप्रीम कोर्ट की सेवानिवृत न्यायाधीश रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता में उच्च स्तरीय समिति का गठन किया है और समिति से समान नागरिक संहिता पर रिपोर्ट तैयार करके देने को कहा है।
उच्चस्तरीय समिति की बैठक में ये हुए शामिल
हालांकि गोवा में आजादी से पहले से समान नागरिक संहिता लागू है, लेकिन यहां बात आजादी के बाद समान नागरिक संहिता लागू होने की हो रही है।
जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता में उच्च स्तरीय समिति की बैठक में अन्य सदस्यों के रूप में सेवानिवृत आइपीएस अधिकारी सीएल मीणा, अधिवक्ता आरसी कोडेकर, पूर्व कुलपति दक्षेश ठाकर और सामाजिक कार्यकर्ता गीताबेन श्राफ भी शामिल हुईं।
चर्चा में मसौदा तैयार करने पर हुआ विमर्श
चर्चा के दौरान समिति ने मौजूदा कानूनों की गहन समीक्षा करने, विभिन्न हितधारकों से परामर्श करने और गुजरात के सभी नागरिकों के लिए समानता, न्याय और सामाजिक सद्भाव को सुनिश्चित करने वाले एक सशक्त कानूनी ढांचे का मसौदा तैयार करने की दिशा में अपने दृष्टिकोण स्पष्ट किये।
समिति ने राज्य की महिलाओं और बच्चों को समान अधिकार देने और सामाजिक ताने बाने को मजबूत करने के लिए व्यक्तिगत कानूनों में समावेशिता, न्यायिक समानता और कानूनी एकरूपता के महत्व पर विशेष बल दिया।
समिति कानून के ड्राफ्ट पर अपनी रिपोर्ट गुजरात सरकार को सौंपेगी।