महिलाओं को छोटी-मोटी शिकायतों के त्वरित निवारण के लिए देश भर में नारी अदालतें शुरू होंगी।
महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने सभी राज्यों को नारी अदालत शुरू करने के लिए चिट्ठी लिखी है और प्रस्ताव मांगे हैं।
अभी तक असम और जम्मू-कश्मीर में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में नारी अदालतें चल रही थीं जिनकी सफलता को देखते हुए सरकार ने इन्हें पूरे देश में शुरू करने का निर्णय लिया है।
महिला एवं बाल विकास मंत्री अन्नपूर्णा देवी ने मंगलवार को बताया कि छोटे-मोटे विवाद निपटाने के लिए महिलाओं को वैकल्पिक तंत्र मुहैया कराने के उद्देश्य से नारी अदालतों को शुरू किया गया है।
पहले जम्मू-कश्मीर और असम में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में नारी अदालतें चल रहीं थीं।
जम्मू-कश्मीर और असम में 50-50 ग्राम पंचायतों में नारी अदालतें थीं। 2023-24 में असम में नारी अदालतों में 102 विवाद आए जिनमें से 76 का निपटारा किया गया।
इसी तरह, जम्मू-कश्मीर में 180 मामले नारी अदालत में आए जिनमें से 144 का निपटारा किया गया।
इनकी सफलता को देखते हुए मंत्रालय बिहार और कर्नाटक में भी 10-10 ग्राम पंचायतों में नारी अदालतों को मंजूरी दे चुका है।
अब इस योजना को सभी राज्यों में विस्तारित करने का निर्णय लिया गया है।
मंत्रालय की ओर से सभी राज्यों को भेजे गए पत्र में कहा गया है कि नारी अदालतें स्थानीय स्तर पर छोटे-मोटे विवादों को निपटाने में महिलाओं को त्वरित न्याय का वैकल्पिक तंत्र उपलब्ध करा रही हैं।
इससे उम्मीद है कि महिलाओं के लिए बराबरी का समावेशी माहौल सृजित होगा। साथ ही छोटे-मोटे विवादों के लिए उन्हें लंबी मुकदमेबाजी में नहीं पड़ना पड़ेगा।
मंत्रालय ने राज्यों से कहा कि वे नारी अदालतें स्थापित करने के लिए प्रस्ताव भेजें। पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर कम से कम दस ग्राम पंचायतों में नारी अदालतें स्थापित करने के प्रस्ताव राज्य भेजें और केंद्र शासित प्रदेश पांच ग्राम पंचायतों के लिए प्रस्ताव भेज सकते हैं।अन्नपूर्णा देवी ने केंद्रीय बजट में महिलाओं का विशेष ख्याल रखे जाने के लिए प्रधानमंत्री और वित्तमंत्री को धन्यवाद दिया।