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देश में अब सभी को भारतीय मानक समय को अपनाना ही होगा। एक देश एक कर व्यवस्था (जीएसटी) लागू करने और एक देश एक चुनाव के लिए कदम बढ़ाने के बाद अब सरकार देश में जल्द ही 'एक देश एक समय' को लागू करने जा रही है। समय के मानकीकरण के लिए सरकार ने सभी आधिकारिक और कमर्शियल प्लेटफार्मों पर भारतीय मानक समय (IST) के उपयोग को अनिवार्य करते हुए नियमों का यह मसौदा तैयार किया है। उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने 14 फरवरी तक लोगों से इस मसौदे पर सुझाव मांगे हैं। द लीगल मेट्रोलॉजी (भारतीय मानक समय) नियम, 2024 का उद्देश्य समय-निर्धारण प्रथाओं को मानकीकृत करने के लिए कानूनी ढांचा तैयार करना है।
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इसमें कानूनी, प्रशासनिक, कमर्शियल व आधिकारिक दस्तावेज के लिए आईएसटी को एकमात्र समय संदर्भ के रूप में अनिवार्य किया गया है। इसका मतलब यह है कि समय के संदर्भ के लिए केवल IST का ही उपयोग किया जाएगा। प्रस्तावित नियमों का उल्लंघन करने पर जुर्माना लगेगा। मसौदा के अनुसार वाणिज्य, परिवहन, सार्वजनिक प्रशासन, कानूनी अनुबंध, वित्तीय संचालन सहित सभी क्षेत्रों में आईएसटी अनिवार्य होगा। इसके मुख्य प्रविधानों में आधिकारिक व कमर्शियल उद्देश्यों के लिए IST के अलावा अन्य समय संदर्भों पर प्रतिबंध, सरकारी कार्यालयों व संस्थानों में आईएसटी का अनिवार्य प्रदर्शन शामिल हैं। क्या होंगे फायदे? मसौदे में समय-सिंक्रनाइजेशन सिस्टम का भी प्रविधान है ताकि साइबर सुरक्षा, विश्वसनीयता सुनिश्चित हो सके। समय सिंक्रनाइजेशन से तात्पर्य यह सुनिश्चित करने की प्रक्रिया से है कि दो सिस्टम या डिवाइस एक सामान्य समय संदर्भ साझा करते हैं। इंजीनियरिंग, सुरक्षित संचार, भौतिक प्रणालियों जैसे विभिन्न क्षेत्रों में यह महत्वपूर्ण है। उपभोक्ता मामलों का विभाग राष्ट्रीय भौतिक प्रयोगशाला व इसरो के साथ मिलकर मजबूत समय प्रसार तंत्र विकसित कर रहा है।
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क्यों जरूरी है एक जैसा समय? एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा कि रणनीतिक और गैर-रणनीतिक क्षेत्रों में नैनोसेकंड की सटीकता के साथ समय का होना जरूरी है। दूरसंचार, बैंकिंग, रक्षा और 5जी और एआई जैसी तकनीक में सटीक समय का पालन अहम है। समय में थोड़ा हेरफेर से बड़ा नुकसान हो सकता है। इस वजह से केंद्र सरकार पूरे देश में एक जैसी समय प्रणाली लागू कर रही है। अलग-अलग टाइम जोन के खतरे एक देश में अलग-अलग टाइम जोन के कई नुकसान हो सकते हैं। ऐसा वैज्ञानिकों का मानना है। वैज्ञानिकों का मानना है कि अगर दो अलग-अलग टाइम जोन है और कोई मानवीय भूल हुई तो बड़े रेल और प्लेन हादसे भी हो सकते हैं। अफरा-तफरी का महौल भी देखने को मिल सकता है। कुछ लोगों का मानना है कि दो टाइम जोन से देश को फायदा होगा। जर्नल करंट साइंस के शोध के मुताबिक देश में दो टाइम जोन की वजह से डेलाइट की बचत होगी और उत्पादकता भी बढ़ेगी। पूर्वोत्तर के राज्यों में सूर्योदय तड़के चार बजे ही हो जाता है। शाम को सूर्यास्त जल्दी होता है। इस वजह से एक जैसे टाइम मानक से उत्पादकता पर असर पड़ता है। अध्ययन में कहा गया है कि देश में दो टाइम जोन होने से वार्षिक 20 मिलियन किलोवाट बिजली को बचाया जा सकता है। भारत में एक ही टाइम जोन क्यों? कश्मीर से कन्याकुमारी और अरुणाचल प्रदेश से गुजरात तक एक टाइम जोन लागू है। पूर्वोत्तर के कई राज्यों ने अलग टाइम जोन की मांग की है। उनका तर्क है कि इन प्रदेशों में सूर्योदय और सूर्यास्त जल्दी हो जाता है। इस वजह से स्थानीय परिस्थितियों के मुताबिक समय का निर्धारण किया जाए। अभी भारत के मध्य से गुजरती रेखा के आधार पर टाइम का निर्धारण होता है। मध्य से निर्धारण इसलिए किया जाता है ताकि यह पूरे देश के समय को कवर कर ले। भारत का मानक समय जीएमटी (Greenwich Mean Time) से 82.5° पूर्व है। इसका मतलब यह हुआ कि हमारा मानक समय ग्रीनविच के मानक समय से साढ़े पांच घंटे आगे है
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