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भारत का उड्डयन सेक्टर दुनिया में सबसे तेजी से आगे बढ़ रहा है। पिछले एक दशक में कई बार केंद्रीय उड्डयन मंत्रियों की तरफ से यह कहा भी जा चुका है कि वह भारत को एक वैश्विक एविएशन हब के तौर पर स्थापित करना चाहते हैं। हालांकि अब केंद्र सरकार पहली बार इस उद्देश्य को केंद्र में रखते हुए एक समग्र नीति तैयार करने में जुटी है। इसकी एक महत्वपूर्ण झलक अगले आम बजट में दिखेगी। माना रहा है कि आगामी बजट में एविएशन सेक्टर को कर छूट, इस सेक्टर की कंपनियों को काम करने संबंधी नियमों को आसान बनाने और देश में विमानन कंपनियों पर लगाए जाने वाले सेवा शुल्कों में छूट देने के लिए एक समग्र पैकेज की घोषणा की जाएगी।
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पैकेज का प्रारूप नीति आयोग ने केंद्र सरकार के सभी संबंधित मंत्रालयों जैसे गृह मंत्रालय, पेट्रोलियम मंत्रालय, नागरिक विमानन मंत्रालय, वित्त मंत्रालय, रक्षा मंत्रालय के साथ गहन विमर्श के बाद तैयार किया है। नीति आयोग का यह पैकेज कई चरणों में लागू होगा। इस मामले की जानकारी रखने वाले एक अधिकारी ने बताया, 'सरकार की भावी नीति पीएम नरेन्द्र मोदी की तरफ से सितंबर, 2024 में एशिया प्रशांत मंत्रिस्तरीय बैठक में कही गई बात को मूर्त रूप देने वाला होगा। उसमें पीएम मोदी ने कहा था कि हमारा उद्देश्य आम जनता तक हवाई यात्रा की सेवा को पहुंचाना, हवाई यात्रा को सुगम, किफायती और सभी के लिए उपलब्ध बनाने की होनी चाहिए।'
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सरकार की भावी नीति में देश में दो एविएशन हब स्थापित करने की राह भी खुलेगी। पहले देश में एक एविएशन हब बनाने का प्रस्ताव था, लेकिन अब नागर विमानन मंत्रालय की तरफ से उत्तर व दक्षिण में एक-एक एविएशन बनाने की पेशकश की जाने वाली है। हाल ही में अमेरिकी सरकार की तरफ से दिल्ली स्थित इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से 220 किलोमीटर दूरी पर स्थित हिसार एयरपोर्ट को एक एविएशन हब बनाने के लिए तकनीकी व वित्तीय मदद देने पर समझौता हुआ है। हरियाणा की राज्य सरकार की तरफ से भी हिसार को एक वैश्विक एविएशन हब बनाने की बात कही गई है, लेकिन इस बारे में केंद्र सरकार की तरफ से अभी कोई अंतिम फैसला नहीं हुआ है। वर्ष 2024 में घरेलू हवाई यात्रियों की कुल संख्या 22 करोड़ के पार कर जाने की संभावना है। यह संख्या वर्ष 2030 तक 40 करोड़ हो जाने और भारतीय विमानन कंपनियों के पास विमानों की मौजूदा संख्या 800 से बढ़कर 1400 हो जाने का अनुमान है। इसके साथ ही देश में हवाई अड्डों की मौजूदा संख्या भी 157 से बढ़कर 250 हो जाने का अनुमान है। नागर विमानन मंत्रालय के मुताबिक वर्ष 2047 तक भारत में 400 एयरपोर्ट होंगे। सिर्फ एयरपोर्ट निर्माण के लिए 24 अरब डालर के निवेश की दरकार है। जबकि विमानन कंपनियों को नये विमान खरीदने के लिए 150 अरब डालर के वित्त की जरूरत होगी।
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