हेल्थ इंश्योरेंस से जुड़े नियमों में हाल ही में किए गए अपडेट ने कैशलेस ट्रीटमेंट की पहुंच बढ़ा दी है। अब पॉलिसीधारकों को नेटवर्क से बाहर के अस्पतालों में भी, एडवांस पेमेंट जमा किए बगैर इलाज की अनुमति है। हेल्थ इंश्योरेंस धारक किसी भी अस्पताल में कैशलेस ट्रीटमेंट कैसे ले सकते हैं...
सबसे पहले यह पता करें कि आपकी हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी में नए बदलावों को अपडेट किया गया है या नहीं। कुछ पॉलिसियों में नॉन-नेटवर्क अस्पतालों में कैशलेस इलाज की सुविधा देने के लिए अपग्रेड या एडजस्टमेंट की जरूरत हो सकती है। पॉलिसी में शामिल न होने वाली चीजें और उसकी लिमिट की भी जानकारी ले लें। नॉन-नेटवर्क अस्पतालों में अब आप कैशलेस इलाज करा सकते हैं, लेकिन इसके लिए प्री-ऑथराइजेशन की जरूरत होती है। जेब से खर्च से बचने के लिए यह एक जरूरी कदम है। अस्पताल में भर्ती होने से पहले या फौरन बाद आपको या अस्पताल को बीमा कंपनी को सूचित करना चाहिए, जो ट्रीटमेंट प्लान और अनुमानित लागत की समीक्षा करेगी। हेल्थ इंश्योरेंस कार्ड, वैध पहचान पत्र, मेडिकल रिपोर्ट और अस्पताल में इलाज का अनुमानित खर्च बीमा कंपनी को भेजें। मंजूरी का इंतजार करें। बीमा कंपनी अमूमन 1 घंटे के भीतर जवाब दे देती हैं।
प्री-ऑथराइजेशन प्रोसेस और आपके क्लेम को सही तरीके से आगे बढ़ाने के लिए ये दस्तावेज तैयार रखें: हेल्थ इंश्योरेंस कार्ड या पॉलिसी का विवरण, वैध पहचान पत्र (आधार कार्ड, पैन कार्ड आदि), मेडिकल रिपोर्ट, जिसमें डॉक्टर का पर्चा और सभी टेस्ट के रिजल्ट शामिल हों होना चाहिए। इनके अलावा अस्पताल का ट्रीटमेंट असेसमेंट भी होना चाहिए। इमरजेंसी में कुछ बीमा कंपनियां इलाज के बाद ऑथराइजेशन प्रदान करती हैं। इससे फौरन इलाज कराने और बाद में मंजूरी लेने की सुविधा मिलती है। इसका लाभ उठाने के लिए अस्पताल में भर्ती होने के 24 घंटे के भीतर बीमा कंपनी को सूचित करना होगा। अधिकांश अस्पतालों में थर्ड-पार्टी एडमिनिस्ट्रेटर डेस्क या टीपीए डेस्क होती है। टीपीए डेस्क आपके, अस्पताल और बीमा कंपनी के बीच मध्यस्थ के रूप में काम करती है। टीपीए डेस्क आपकी हेल्थ पॉलिसी के आधार पर ट्रीटमेंट दिलवाने और क्लेम प्रोसेस करने की फ्री-सर्विस देती है। यहां आपको यह मार्गदर्शन मिलेगा कि क्लेम में कौन-कौन से खर्च शामिल होंगे और आपको अपनी जेब से कितना खर्च करना होगा।