राजस्थान के झुंझुनू के भाटीवाड़ गांव के एक ऐसे किसान जिन्होंने कम्यूटर साइंस शिक्षक की नौकरी छोड़ खेती को अपने आय का जरिया बनाया.
जी हां किसान गुलाब सिंह पिछले 8 साल से जोजोबा की खेती कर रहे हैं.
गुलाब सिंह ने पढ़ाई में कंप्यूटर साइंस से एमसीए की पढाई पूरी की फिर बीएड किया उस के बाद 12 साल तक उन्होंने कॉलेज में बच्चों को पढ़ाया है उस में मन नहीं लगने की वजह से उन्होंने खेती करना शुरू किया.
दरअसल गुलाब सिंह ने 2004 से लेकर 2016 तक कॉलेज में शिक्षा दी है, उसके बाद उनके बड़े भाई से सलाह मशवरा करके उन्होंने जोजोबा की खेती शुरू की आज 8 साल के हो चुके हैं.
जोजोबा लगाने की तीसरी साल उन्होंने उनसे प्रोडक्शन प्राप्त कर लिया था.
गुलाब सिंह का कहना है कि तीसरी साल उन्होंने जो लागत आई थी इतना खर्चा जोजोबा से वसूल कर लिया था,
जोजोबा की सबसे खास बात यह बताई गई कि यह हर साल अपना प्रोडक्शन दुगुना करता है, जिससे किसान को कम लागत में अच्छा मुनाफा प्राप्त होता है.
गुलाब के पास 400 के करीब जोजोबा के पौधे है
गुलाब सिंह ने बताया कि अभी उनके पास 4:30 बीघा खेत में 400 के करीब जोजोबा की पौधे हैं.
जिनसे वह इस साल 10 से 12 क्विंटल के करीब जोजोबा उन्होंने तोड़ा है.
पिछले साल उन्होंने 3 क्विंटल जोजोबा पौधों से प्राप्त किया था, जोजोबा मार्केट में 26 से 27 हजार रूपए क्विंटल बेचा जा रहा है.
इसे बालू मिट्टी में लगाया जाता है
जिस से उन्हें अच्छा मुनाफा मिल रहा है, उन्होंने बताया कि सरकार अगर इस पर थोड़ा सा ध्यान और दे तो किसान की आय को और अधिक बढ़ाया जा सकता है.
जोजोबा की सबसे बड़ी खास बात यह है कि यह 50 डिग्री टेंपरेचर में भी जीवित रह सकता है.
माइनस में अगर टेंपरेचर हो तो उससे भी इसे ज्यादा फर्क नहीं पड़ता है. गुलाब ने बताया कि जोजोबा को बहुत ही कम पानी की जरूरत होती है इसे मरुस्थलीय पौधा भी माना जाता है.
अत्यधिक गर्मी के समय इसमें दो-तीन सिंचाई की जाती हैं दूसरा जब फ्लोरिंग का समय होता है तब इसे पानी की जरूरत होती है.
इसके अलावा इसे बहुत कम पानी की आवश्यकता होती है.
इसकी जड़ों में पानी बिल्कुल भी नहीं डालना चाहिए और इसे बालू मिट्टी में लगाया जाता है.